Sahara India Refund: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सहारा निवेशकों के लिए एक राहत की खबर आई है। सहारा इंडिया में लाखों निवेशकों के पैसे फंसे हुए थे, लेकिन अब ग्राहकों को उनकी राशि वापस मिलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को। संपत्ति बेचकर निवेशकों के पैसे लौटाने (Sahara Refund) का आदेश दे दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सहारा की संपत्ति बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं है इसलिए समूह को जल्द से जल्द निवेशकों के पैसे वापस करने चाहिए।
Sahara India Refund: यह लेख आपको रिफंड, सुप्रीम कोर्ट के आदेश, और सहारा समूह के वित्तीय स्थिति के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेगा। आगे पढ़ें और जानें कि निवेशकों को उनका पैसा कैसे और कब वापस मिलेगा, और इसके लिए आपको क्या कदम उठाने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2012 को दिए गए निर्देश में कहा था कि सहारा समूह की कंपनियां – एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल – व्यक्तिगत निवेशकों से एकत्र की गई राशि को 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ सेबी को वापस करेंगी। यह ब्याज धनराशि जमा करने की तारीख से पुनर्भुगतान की तारीख तक के लिए देय होगा।
संपत्ति बेच कर चुकाएगा पैसा
सहारा ग्रुप को निवेशकों को पैसे चुकाने के लिए संपत्ति बेचनी पड़ेगी, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया हैं की सहारा ग्रुप सेबी-सहारा रिफन्ड (Sahara India Refund) खाते मे 10,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए स्वतंत्र हैं और इसके लिए अपनी संपत्ति बेच सकता हैं।
सहारा समूह की दलील
सहारा समूह की ओर से वकील ने अदालत के समक्ष यह दलील दी कि कंपनी को अपनी संपत्तियां बेचने का अवसर नहीं दिया गया। इस पर पीठ ने कहा कि न्यायालय के आदेश अनुसार 25,000 करोड़ रुपये में से बाकी 10,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए सहारा समूह पर अपनी संपत्तियां बेचने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की सहारा ग्रुप को फटकार
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मंगलवार को सहारा ग्रुप के खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान कड़ी नाराजगी व्यक्त की। पीठ ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद 10 वर्षों से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन सहारा ग्रुप ने अब तक पूरी राशि जमा नहीं की है।
संपत्तियों की बिक्री
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सहारा समूह को अपनी संपत्तियों को सर्किल रेट से कम कीमत पर नहीं बेचना चाहिए। अगर समूह सर्किल रेट से कम कीमत पर संपत्तियों को बेचना चाहता है, तो उसे इसके लिए न्यायालय की पूर्व अनुमति लेनी होगी।